भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यार हुआ ऐसे तो नहीं / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
प्यार हुआ ऐसे तो नहीं
दिल है कहीं, नज़रें हैं कहीं
ये भी बहारें खूब रहीं
फूल खिले हैं, तुम ही नहीं
हमको कभी दर्शन तो मिले
वे भी, सुना, रहते हैं यहीं
राह किधर भी जाय मगर
दिल तो पहुँच जाता है वहीं
रंग तो चाहिए सबको, गुलाब!
प्यार की टीसें किसने सहीं!