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प्यार है, इज़हार है बाज़ार में / अशोक अंजुम
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प्यार है , इजहार है बाजार में !
इश्क का व्यापार है बाजार में !
कैद दफ्तर में रहे सप्ताह भर
और अब रविवार है बाजार में !
देखकर विज्ञापनों का बाँकपन
रोज कुल परिवार है बाजार में !
ये भी लें, हाँ ये भी लें, हाँ ये भी लें
बस यही तकरार है बाजार में !
बिक रहा है आम जनता का सुकूँ
और हर सरकार है बाजार में !
क्यों घरों में आज सन्नाटा लगे
और हर त्यौहार है बाजार में !
एक जादू हर तरफ तारी हुआ
खींचता हर बार है बाजार में !
जेब में सबकी लगता सेंध ये -
साथ जो उपहार है बाज़ार में
देखकर 'अंजुम' हमें ऐसा लगे
यूँ कि सब संसार है बाज़ार में !