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प्यार है / बिमल कृष्ण अश्क

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नन्ही मुन्नी दूध की ख़ुशब लुंढाती गुढ्लियों चलती मोहब्बत बाँटती
तुत्लाहटों का क़ाफ़िला-सालार है वो
रस से भारी होंट चंदन सी महकती ज़ुल्फ़ अमृत से भरे
उल्टे कटोरों लजलजी लज़्ज़त से बोझल टहनियों का ख़ंदक़ों क़ोसों
तिकोनों का अलम-बरदार है वो
झुकती कमरों बर्फ़ से बालों बदन के दुखते जोड़ों जन्नत पैरों
की ख़ातिर सूरत-ए-दस्तार है वो
सुब्ह-ए-तख़्लीक़-ओ-तसव्वुर है जवानी की दो-पहरी
विसाल-ए-ज़ीस्त का त्यौहार है वो
प्यार है वो