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प्यार / तुलसी रमण
Kavita Kosh से
गुर्राता, भौंकता
वह झपटा मेरी ओर
मैंने बजाई चुटकी
और पुचकारा
उसने दुम हिलाई
और कूँ-कूँ कर कहा-
कौन नहीं चाहता आख़िर
प्यार।