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प्यार / रणजीत
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प्यार
राजमलै अभयारण्य मुन्नार के
उन हल्के बैंगनी फूलों की तरह खिलता है
बारह बरस में एक बार
और तबीयत बाग़-बाग़ हो जाती है
पर उस एक बहार के बाद?
सीधी सपाट शैल-पीठिका पर
बरसों तक निचाट निष्पुष्प निर्जनता
और इन्तज़ार...बस इन्तज़ार...
यही है मेरी दुनिया में प्यार
का वास्तविक रूपाकार!