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प्यार / विनोद शर्मा
Kavita Kosh से
फूल झर जाते हैं
उनकी खुशबू नहीं झरती
विलीन हो जाती है वायुमंडल में
महकाती रहती है
उसका कोई न कोई हिस्सा
हम मर जाएंगे
हमारा प्यार नहीं मरेगा
विलीन हो जाएगा सृष्टि में
अनुप्राणित करता रहेगा
उसका कोई न कोई हिस्सा।