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प्यासा आदमी / शुभा
Kavita Kosh से
प्यासा आदमी
पानी को याद करता है
वह उसे पीना चाहता है
फिर प्यास बढ़ती है
तो वह उसे देखना चाहता है
और प्यास बढ़ती है
तो वह उसकी आवाज़ सुनना चाहता है
और प्यास बढ़ती है
तो वह अपने और पानी के बीच की दूरी देखने लगता है
और प्यास बढ़ती है तो वह
इस दूरी को एक रास्ते की तरह देखता है
और दूरी बढ़ती है
तो वह रास्ते को प्यार करने लगता है
और प्यास बढ़ती है
तो हर क्षण पानी भी उसके साथ रहने लगता है
लोग न उसके पानी को देखते हैं न उसकी प्यास को
ऐसा आदमी कभी-कभी गूंगा हो जाता है।