भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्यास / अब्बास कियारोस्तमी
Kavita Kosh से
आप
शायद
विश्वास नहीं करेंगे
लेकिन सच यही है कि
मैं अपनी प्यास
बुझाता हूँ
मृग-मरीचिका से
पीकर पानी
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय