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प्रकृति बधु / राहगीर
Kavita Kosh से
गोरी के अँगना, फुलै फुलवारी।
झलके कपोल गुलाब गुलाबी,
काँचे कलिन की उतारी। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।
अँखिया में बिहँसे नील कमलवा,
माथे पर मोतिया री। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।
ओठवा पर लाल कमल दल दँतवा,
कुन्द कलिन की कियारी। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।
कनवा में चम्पा कली के कुंडल,
मोलेसरी की बिंदिया री। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।
गरवा में हरसिंगार के हरवा,
जूड़ा में जूही पियारी। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।
बाजूबन्द बेला-चमेली के कंगना,
रंग-रंग रच नारी। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।
गोड़वा में पलास की लाली,
कोई बनी बिछुवारी। फुलै फुलवारी। गोरी के आँगना...।।