भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रकृति : दोय / ॠतुप्रिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चिड़्यां
चटकै सोवै
अर
चटकै जागै
अर
चुगौ-पाणी भी
करै आपरै हिसाब सूं

प्रकृति सूं
जुड़्योड़ा रैवै जीव
तद ई
रैवै नीरोग।