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प्रजातंत्र / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
जिसका
उपद्रव-मूल्य है
वह पूज्य है !
जिसका
जितना अधिक उपद्रव-मूल्य है
वह उतना ही अधिक पूज्य है !
अनुकरणीय है !
अधिकांग है,
और सब विकलांग हैं !
वंदनीय है !
जो मदान्ध है
जो कामान्ध है
क्रूर कामान्ध है
आदरणीय है,
उच्च आसन पर
सुशोभित
श्रेष्ठ समादरणीय है !
जो जितना मुखर
- और लट्ठ है
- और लट्ठ है
जो जितना कड़ुआ मुखर
और जितना निपट लट्ठ है
उसके
पीछे-आगे
दाएँ-बाएँ
- ठट्ठ हैं !
- ठट्ठ हैं !
उतने ही
भारी भड़कीले ठट्ठ हैं !
उसका गौरव
अनिर्वचनीय है,
उसके बारे में
और
क्या कथनीय है !