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प्रणय : जोसी ब्लिस-1 / पाब्लो नेरूदा
Kavita Kosh से
क्या हुआ उस प्रचण्ड क्षोभ वाली का?
सम्भव है, अब वह
रंगून के विशाल क़ब्रिस्तान के बीच
बेचैन आराम कर रही है,
या सम्भव है कि लोगों ने उसका तन, सारी शाम,
इरावती के तट पर जलाया हो, जबकि नदी
अपनी मर्मर ध्वनि में
वें बाते कहती रही, जिन्हें मैंने उसे आँसुओं में कहा होता।
अरुण माहेश्वरी द्वारा अँग्रेज़ी से अनूदित