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प्रतिज्ञा / सोमदत्त
Kavita Kosh से
सब राजी हैं कि मानुस-तन पाया है
सब खुश हैं कि पाया है मानुस-तन
सब राजी हैं कि मानुस-तन पाया है तो
तन-सुख गहना है
सब खुश हैं कि तन-सुख गहना है
तो इन्द्री-सुख लहना है
इन्द्री-सुख नसैनी है तन-सुख की
तन-सुख नसैनी है मन-सुख की
सब राजी हैं कि मानुस-तन पाया है तो
करना-धरना है रचना-बसना है
सब खुश हैं कि करना-धरना-रचना-बसना है
तो इन्द्री-गुर गुनना है
इन्द्री-गुर गुनना है तो मन-सुर सुनना है
मन-सुर सुनना है तो तन-सुख गहना है
तो तन-सुख गहना है हमारी प्रतिज्ञा फिलहाल
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