भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रतिबद्धता / पाश

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम चाहते है अपनी हथेली पर कुछ इस तरह का सच
जैसे गुड़ की चाशनी में कण होता है
जैसे हुक्के में निकोटिन होती है
जैसे मिलन के समय महबूब की होठों पर
कोई मलाई जैसी चीज़ होती है