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प्रतिबद्धता / रमेश ऋतंभर

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जब सारी दुनिया
निन्यानबे के फेर में फंसी पड़ी थी
उस वक्त
मैं प्यार में डूबा हुआ था।
जब सारी दुनिया
धर्म के नशे में धुत थी
उस वक्त
मैं प्यार में डूबा हुआ था।
जब सारी दुनिया
हथियारों के खरीद-फ़रोख़्त में लगी हुई थी
उस वक्त
मैं प्यार में डूबा हुआ था।
यह समय ही ऐसा था
कि मैं प्यार के सिवा कुछ सोच नहीं सकता था
यह मेरी प्रतिबद्धता का सवाल था
क्योंकि मुझे कहीं किसी को कुछ जवाब देना था।