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प्रतिबिंब / नरेश अग्रवाल

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अपनी असंख्य डालियों का बोझ उठाये
चुपचाप खड़ा है यह पेड़
और इसके भीतर
मैं देखता हूं
एक बोझ ढोने वाली
औरत का प्रतिबिम्ब ।