प्रतिरोध का निशान / एड्रिएन सिसिल रिच / असद ज़ैदी
पत्थर पर पत्थर जमाते हुए
मैं बनाती हूँ अपने मन का स्तूप
दोपहर — मेरी पीठ समय के बोझ से झुकी हुई,
अनावृत और भेद्य,
ये आड़े तिरछे खेत जिन्हें मैं प्यार करती हूँ
पर बचा नहीं सकूँगी
आने वाली बाढ़ से;
अपने हाथों की मदद से
मैं, बस, बाँधे रखती हूँ,
मेहनत से जुटाए पत्थरों के इस ढेर को,
एक ऐसी जमावट में
जो पहले कभी देखी नहीं गई,
पत्थरों की एक ढेरी : एक दावा
कि देश का यह हिस्सा भी मानी रखता है
बड़ी और मामूली वजहों से ।
एक निशान प्रतिरोध का, एक संकेत ।
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Adrienne Rich
A Mark of Resistance
Stone by stone I pile
this cairn of my intention
with the noon's weight on my back,
exposed and vulnerable
across the slanting fields
which I love but cannot save
from floods that are to come;
can only fasten down
with this work of my hands,
these painfully assembled
stones, in the shape of nothing
that has ever existed before.
A pile of stones: an assertion
that this piece of country matters
for large and simple reasons.
A mark of resistance, a sign.