भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रतीक्षा / कविता भट्ट
Kavita Kosh से
1
यही प्रतीक्षा
हो जीवन वसन्त
दिग-दिगन्त।
2
तुमसे मिलूँ
युगों से है प्रतीक्षा
पूर्ण हो इच्छा।
3
मौन प्रतीक्षा
यही है परिभाषा
मिलन आशा।
4
नैन सूखे हैं
प्रतीक्षा है मुखर
मूक अधर।
5
गंगाजल है
पावन है प्रतीक्षा
प्रेम समीक्षा।
6
मिलन राग
प्रतीक्षा तुम गाओ
पी को सुनाओ।
7
अनुगुंजन
प्रतीक्षा के सुरों का
प्रिय सुनो ना!
8
सेज सजाई
प्रतीक्षा ने सजन
हो तो मिलन।
9
मेरे आँगन
प्रतीक्षा गीत गाए-
‘प्रिय आ जाए।’
10
दुःख जीवन
सुख की है प्रतीक्षा
करो समीक्षा।
11
प्रतीक्षारत
मैं योगिनी-सी ही हूँ
तुम महेश।
12
प्रिय! प्रतीक्षा
शीत- सी है चुभती
कब आओगे!
-0-