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प्रतीक्षा / महेन्द्र भटनागर

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कितने दिन बीत गये

सपन न आये !

जागे सारी-सारी रात
डोला अंतर पीपर-पात
मन में घुमड़ी मन की बात

सजन न आये !

मेघ मचाते नभ में शोर
जंगल-जंगल नाचे मोर
हमको भूले री चितचोर

सदन न आये !

भर-भर आँचल कलियाँ फूल
दीप बहाये सरिता कूल
रह-रह तरसे पाने धूल

चरन न आये !