प्रथमहिं सुमिरौं नाम विधाता । जोविधि विधि किन्ह सकल रंगराता ।।
सात अकास किन्ह मैं गुनी । सरंग पताल रचे बिनु थुनी ।।
सातो दीप किन्ह गंभीरा । सात समुद्र किन्ह निरनीरा ।।
अंडज, पिण्डज, अंकुरज, किन्हा । ओ उखमज पुनि पैदा किन्हा ।।
जो चरचे पावे पुनि सोई । अलख रूप लखि पारे न कोई ।।
सरवन नहीं सुने चहुँ बाता । लोचन नाहि देखे सब गाता ।।
हृदय माहि बुझे मन ज्ञाना । कमल कली मँह भँवर छिपाना ।।