प्रथम उत्तर दे मेरी बात का जो विद्यावन्त कहावै / मेहर सिंह
अगर महफिल मैं कोए गाणा चाहवै।
प्रथम उत्तर दे मेरी बात का जो विद्यावन्त कहावै।टेक
पहला प्रश्न सुण मेरा तनै बात सुणाद्यूं सारी
नहीं मात सै जनम लिया नहीं मर्द नहीं नारी
नहीं पति से ग्रहण किया दो सुत जामे बलकारी
वो लड़के महारथी राजा थे जाणैं दुनिया सारी
आड़ै आवण का अधिकार उसे जो इसका अर्थ लगावै।
वही मात वही स्त्री वहीं कंथ वही बेटा
वही गुरु पत्नि वही चेला वही कंथ हुया जेठा
वो नारी जबर जवान पति कुल ग्यारा दिन ना फेटया
एक पिता मां तीन गर्भ म्हं कित कितने दिन लेटया
भौकें तैं ना पार पड़ै क्यूं वृथा गाल बजावै।
वही बहु वही मामा की बेटी वही फुफस वही माता
वही भतीजी वही बुआ यो सास बहु का भी नाता
खड़्या सभा म्हं सहम गया तूं क्यूं ना भेद बताता
अकलबन्द बिन कोण अर्थ लगावै नुगरा पीठ दिखाता
म्हारे कथन पवित्र का भेद किसै मुर्ख नै कोन्या पावै।
एक लड़का एक लड़की जणदी जननी मरगी छन म्हं
उस लड़की के ब्याहवण खातर छतरी फिरे लगन म्हं
नहीं पति का मुंह देख्या नहीं नार के तन म्हं
गुरु लख्मी चन्द जाटी आला पास करै एक छन म्हं
मेहरसिंह के छंद सुणे बिन विद्या मूढ़ लखावै।