प्रथम कातिक मास चढ़े अलगाह / भोजपुरी
प्रथम कातिक मास चढ़े अलगाह,
हरखित हिहरा चरावत गाय, कि लादल बरधी चलेले बंजिर।
सखि हमें ना जइबों, आजु झूलने तुम जाय रे सखी, आजु झूलने तुम जाव।।१।।
अगहन मासे कि लाले सनेह, नइहर से धनि सासुर जाई,
कि पान पियरी व पहिरत कापड़ सूत, जोड़ी बिछुड़ने दइब दुख दीना,
कि हमें ना जइबों, आजु झूलने तुम जाव रे सखी, हमें ना जाइबों।।२।।
पूसहिं मासे पूस-बरती नहाय, झीन भइले कापड़ बएस भइले भार
सखि हमें ना जइबों, अजु झूलने तुम जाव रे सखी, हमें ना जइबों।।३।।
माघहीं मासे पड़ेले निजठार, काँपत पिंडुरी, काँपेले मोतीहार (मोरी हाड़)
कि काँपत पिडुरी, बेदना घहराय, कि अपनो पिया बिनु जाड़ो ना जाय
कि हमें ना जाइबों, आजु झूलने तुम जाव रे सखी, हमें ना जाइबों।।४।।
फागुन मासे कि फगुनी बेयार, तरिवर पात खरिक भुंइयाँ गिरे
अगति में जनितो कि फागुनी बेयार, त सइयाँ धरती में भर अंकवार
सखि हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तुम जाव रे सखी, हमें ना जाइबों।।५।।
चइत मास फूले बन-टेसू, ए जी सखी सब लोढ़ेले बन गइलें
लोढ़त फूल कि गांथत हार, से हार पठइब त सइयाँ हजूरे
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तू जाव सखी, सखी हमें ना जाइबों।।६।।
बइसाखहिं मासे फूले बन-ढोग, उ एजी नर खर काटि छावलें सब लोग
कि चिरइ-चुरुंगो खोंता लगावे,
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तू जाव रे सखी, सखी हमें ना जाइबों।।७।।
जेठहिं मासे लगन दुइ-चारी, गारिले मांडो बिआहिले बारी
कि गारिले मांड़ो, गाइले गीत,
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तुम जाव सखी, सखी हमें ना जाइबों।।८।।
जेठहिं मासे जेठुई का पास, कवन दुःखी सब पुरवत आस
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तुम जाव सखी, सखी हमें ना जाइबों।।९।।
आषाढ़हिं मासे बरीसे मेघन देव, अकसर भींजले, दूसर कोई नाहीं,
भींजे वस्त्र दुई ए थन हार, सामी के तिलक भीजें बीचे लिलार
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तुम जाव रे सखी, हमें ना जाइबों।।१0।।
भादोहिं मासे भरेली भयावन, भरि गइल नदी-नार-थल जल से
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झूलने, तुम जाव रे सखी, हमें ना जाइबों।।११।।
कुआर मासे पूजेले बरहो मास, आइ गइलें सइयाँ, पूजले हमरो आस
सखि, हमें ना जाइबों, आजु झुलने, तुम जाव सखी, हमें ना जाइबों।।१२।।