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प्रथम मास ज बसायल चरण ऋतु आयल रे ललना / मैथिली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

प्रथम मास ज बसायल चरण ऋतु आयल रे ललना रे कर्म लीखल यदुराय कि होरीला के लक्षण रे
दोसर जब आयल चरण ऋतु आयल रे ललना रे दाहिन पैर पछुआय कि होरिला के लक्षण रे
तेसर मास जब आयल चरण ऋतु आयल रे ललना रे पान क बीडा नै सोहाय चित्त फ़रियाअल रे
चारीम मास जब आयल चरण ऋतु आयल रे ललना रे आंखी धंसल मूंह पियर चोली बन्द कसमस रे
छठम मास जब आयल चरण ऋतु आयल रे ललना रे छोरु पिय लाली पलंगीया सुतब हम असगर रे
सातम मास जब आयल चरण ऋतु आयल रे ललना रे लिय सास भनसा रसोईया जायब हम नैहर रे
आठम मास जब आयल चित्त फ़रियाअल रे ललना रे सारी सासरी उपाय कौन विधि बाचब रे न
नवम मास जब आयल चरण ऋतु आयल रे रानी दर्द व्याकुल देह सब तलफ़ल रे
दशम मास जब आयल चरण ऋतु अयल रे ललना रे सुन्दर होरीला जनम लेल महल उठे सोहर रे


यह गीत श्रीमती रीता मिश्र की डायरी से