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प्रभात तुम्हारा / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित

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दान दो
दान लो
मंदिर बनाओ या
बनाओ आश्रम
दिल्ली में या मथुरा में
पाप करो
पुण्य कमाओ
गंगा में
डुबकी श्रद्धानुसार लगाओ
जगराता कराओ
या
कराओ
चौकी
ईश्वर को सुनाने के -
लिए
ढोंग सारे
हमारे हैं
हम ही है
जो अपनों से
हारे हैं
नीम हकीम खतरे जान
ताकत जड़ी-बूटी वालों से
बचें
श्रम करें, काम करें
कुछ तो करे
खाली हाथ बैठे तो
पाओगे
दुत्कार
और करोगे
काम तो
पाओगे दुलार
तो
मेरे यार
रहो तैयार
बढ़ने को आगे
अब प्रभात तुम्हारा है