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प्रभात फेरी (कव्वाली) / अछूतानन्दजी 'हरिहर'
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ऐ आदि-वंश वालो! जागो, हुआ सवेरा।
अब मोह-नींद त्यागो, देखो हुआ उजेरा॥
अन्याय की निशा से, अन्धेर से न डरना।
होगा उदय तुम्हार, भागेगा दुख घनेरा॥
सब जग चुके, तुम्हीं क्यों सोये हुए पड़े हो?
फुर्ती से उठ खड़े हो, साहस करो करेरा॥
ऐ नवजवान जागो, सोने दो वृद्धजन को।
अब मुल्क से मिटा दो अन्याय का अंधेरा॥
प्रति सैकड़ा तुम्हारी अस्सी विशाल संख्या।
दुख दूर दासता का करदो हुआ अबेरा॥
तुम हो निसर्ग से ही, भारत के आदि-स्वामी।
गैरों का हो गया है, इस देश में बसेरा॥