भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय / मीराबाई

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

राग दरबारी


प्रभुजी थे कहां गया नेहड़ो लगाय।
छोड़ गया बिस्वास संगाती प्रेमकी बाती बलाय॥

बिरह समंद में छोड़ गया छो, नेहकी नाव चलाय।
मीरा के प्रभु कब र मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय॥


शब्दार्थ :- थे =तू। नेहड़ो = प्रेम। बाती बलाय =आग लगाकर। समंद =समुद्र। छो = हो। कब र = अरे, कब।