भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रयोजन / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आइ राष्ट्रकेँ पड़ल प्रयोजन
तपः पूत किछु नेता चाही
सत्साहित्य प्रणेता चाही
शत्रुसैन्य दल मथनकरक हित
भीष्म समान विजेता चाही

दिव्यदृष्टि व्याख्याता चाही
मन्त्रतत्त्व उद्गाता चाही
दलित पतित हित त्राता चाही
सत्यक अनुसन्धाता चाही

व्याप्त सकल दुख हर्त्ता चाही
देशक कर्त्ता धर्त्ता चाही
शिवि दधीचि कर्णक दानक
केर पुनः अनुसर्त्ता चाही

मानवीयगुण श्रोता चाही
सद्धिचार प्रस्तोता चाही
ज्ञान अग्निमे मनोविकारक
हवन करक हित होता चाही

जागरूकता दैनिक चाही
सभ बलिदानी सैनिक चाही
ठाम - ठामपर खीमा चाही
सतत सुरक्षित सीमा चाही

सागरमे पनिडुब्बी चाही
शत्रुक दललय कुब्बी चाही
पछिमा चाही, पूबा चाही
सतत बनल मनसूबा चाही

तोपक मुहमे गोला चाही
कवच - कुण्डली चोला चाही
किछु विमान बम वर्षक चाही
राष्ट्रनीति आकर्षक चाही

सदाश्रमी सभ कर्षक चाही
गौरव भारत वर्षक चाही
दृढ़ साहस संघर्षक चाही
फुजल बाट निष्कर्षक चाही

राष्ट्र विरोधी नाथल चाही,
सभ वंशीमे गाँथल चाही
बनल रहय आन्तरिक एकता,
हो संगहि परिवार नियोजन
आइ राष्ट्रकेँ यैह प्रयोजन