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प्रवासी का प्रश्न / इला प्रसाद
Kavita Kosh से
हम ,
जो चले गए थे
अपनी जड़ों से दूर,
लौट रहे हैं वापस
अपनी जड़ों की ओर
और हैरान हैं यह देखकर
कि तुमने तो
हमारी शक्ल अख्तियार कर ली है
अब हम अपने को
कहाँ ढ़ूँढ़ें ?