प्रश्न-वन के देवता / सोम ठाकुर
ओ, कॅंटीले प्रश्न - वन के देवता
हम रहे हँसते हुए झरने
नदी के मंत्र गुंजन
घोष सागर के
कौन हम को रोकता है
कौन है जो टोकता है
कौन है जो बाँधता है
एक गुमसूम ताल बनने के लिए
हमको
दे हमें उस ध्वंस दानव का पता
ओ, कॅंटीले प्रश्न -वन के देवता
ओ, विषैले प्रश्न - वन के देवता
लो, उठी काली लहर
जो फेन रचती है
किसी पागल हँसी के
रक्त जमता जा रहा है धमनियों में
हो गई भाषा अपाहिज
आज उजला होश खोता जा रहा है
इस गरल का तू सही परिचय बता
ओ, विषैले प्रश्न -वन के देवता
ओ, हठीले प्रश्न -वन के देवता
अभी हमने चितवनों की गाँठ खोली है
अभी बाँटे है हवा का सबद - कीर्तन
अज़ाने, प्रार्थनाएँ
खुले दालान - आँगन में रची
पॅंचरंग रांगोली,
सींचते है हम पसीने से जिसे, वह
कब फलेगी स्वप्न फूलों की लता
ओ, हठीले प्रश्न -वन के देवता