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प्रश्न चिह्न / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
तुमने परखा छन्द
छुपा रहा भाव
तुमने बाँचे शब्द
दबा रहा विचार
तुमने निरखा रूप
रस रहा अनछुआ।
इतने कविता समयों के बाद भी
अधूरा रहा
हमारा संवाद
क्यों लिखूं मैं ?
जब मेरे रचाव पर ही
लगा दिया है तुमने
प्रश्न-चिह्न।