भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्राणप्रिय / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
क्यों होता है
उसके साथ
कभी प्राणप्रिय
होने का आभास
और कभी
परायेपन का चरम
प्रथमदृष्ट्या कुछ
फिर कुछ
फिर कुछ
और देर तक
आँख गड़ाये रहने
पर कुछ
स्मृति के
एक छोटे से
स्रोत से
फूट पड़े
आँसुओं को
देखकर लगा कि
जो रेत
नदी में रहकर
सूखा रहा हो
उस पर
थेाड़े-मोड़े
और पानी का
असर क्या