भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रारब्ध / मारिन सोरस्क्यू / मणि मोहन मेहता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिस चूजे को मैं ख़रीद कर लाया था कल रात
संशीतित (फ्रोज़ेन)

जीवित हो उठा,
उसने दिया दुनिया का सबसे बड़ा अण्डा

और उसे नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया
यह चमत्कारिक अण्डा
कई हाथों से गुज़रता हुआ
कुछ ही हफ़्तों में घूम चूका पूरी धरती
और सूर्य की परिक्रमा
तीन सौ पैंसठ दिनों में

किसी को नहीं पता
इस मुर्गी को कितनी धनराशि प्राप्त हुई
बाल्टी भर -भर के दाना मिला
जिसे खाने में वह असमर्थ रही
उसे जगह-जगह आमन्त्रित किया गया
उसने व्याखान और साक्षात्कार दिए
तस्वीरें खीचीं गईं
पत्रकारों ने अक्सर मुझ पर ज़ोर डाला कि मैं भी
उसकी बगल में खड़े होकर तस्वीर खिचवाऊँ।

तो इस तरह
कला की सेवा करते हुए
बिताया मैंने अपना पूरा जीवन,
और अन्ततः प्रसिद्ध हुआ
एक मुर्गी पालक के रूप में...।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन मेहता’