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प्रार्थना-दो / रेणु हुसैन

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मैं कश्ती, तुम हो पतवार
मैं नदिया, तुम हो जलधार

मैं माटी, तुम मूरत हो
मैं दर्पण, तुम सूरज हो

मैं हूं बदली, तुम हो पानी
मैं हूं बचपन, तुम नादानी

मैं तितली हूं, तुम परवाज़
मैं एक वीणा, तुम आवाज़

मैं हूं राही, तुम हो मंज़िल
मैं हूं धारा, तुम हो साहिल