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प्रार्थना बनी रही / गोपाल सिंह नेपाली
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रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही
एक ही तो प्रश्न है रोटियों की पीर का
पर उसे भी आसरा आँसुओं के नीर का
राज है ग़रीब का ताज दानवीर का
तख़्त भी पलट गया कामना गई नहीं
रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही
चूम कर जिन्हें सदा क्राँतियाँ गुज़र गईं
गोद में लिये जिन्हें आँधियाँ बिखर गईं
पूछता ग़रीब वह रोटियाँ किधर गई
देश भी तो बँट गया वेदना बँटी नहीं
रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही