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प्रियतम मोर परदेश देश कोना हम रहबै / भास्करानन्द झा भास्कर

प्रियतम मोर परदेश देश कोना हम रहबै
सावनक टपटप नोर भोर कोना हम सहबै

झमझम बरसए मेघ दरेग नहिं रत्ती भरि
प्रेमक उठल दर्द पोरे पोर कोना हम सहबै

नूतन हरियरी मातल सगरो पल्लव -फ़ूल
आलिंगन जोड़ा नाचे मोर कोना हम सहबै

भरि आंगनमें असगर बीतल नेहक संगहि
थाकल आसक रंगल ठोर कोना हम सहबै

थाकि-हारि बसिया गेल पूआ संग मलपूआ
भरि पाबनि बिनु चित चोर कोना हम सहबै