भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रिया-6 / ध्रुव शुक्ल
Kavita Kosh से
जिसकी आयु कम थी
प्रिय हो गया
शब्द को वही अर्थ
यम पीछे पड़े हैं
द्वार पर खड़े हैं
घर में पुरुष नहीं है--
द्वार के पास खड़ी होकर रोज़ कह देती है
द्वार नहीं खोलती प्रिया
उसे बाँहों में भर लेती है