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प्रीति / शब्द प्रकाश / धरनीदास

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प्रीति मीन अरु जलहिँ, प्रीति मधुकर अरु कमलहि। प्रीति पपीहा स्वाति, प्रीति पुनि दीप फतिगहि॥
चन्द चकोरहिँ प्रीति अति मनी भुअँगहिँ। प्रीति कनक अरु कृपण, प्रीति अमली अरु अमलहि॥
प्रीति हंस अरु मानसर, प्रीति युवति अरु मन्तसाँ।
धरनी मन वच कर्मना, प्रीति भक्त भगवन्त साँ॥6॥