भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रीत-13 / विनोद स्वामी
Kavita Kosh से
म्हनै
दूर सूं
ऊंट पर आंवतै नै देख
नीरणी री ठाडी पांड
किंयां चक लेंवती आपी,
जद कै
ओरां दिनां
चकायां ई कोनी चकीजती?