भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रीत-6 / विनोद स्वामी
Kavita Kosh से
तूं बेरड़ी रै जिका भाटा मारया
बां नै देख म्हैं
याद करूं बै मीठा दिन,
पेडै में फंस्योड़ा
अै भाटा
तेरो दियोड़ो निजराणो-सो लागै
आज।