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प्रीत ये कैसी बोल री दुनिया / शैलेन्द्र

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प्रीत ये कैसी बोल री दुनिया
प्रीत ये कैसी बोल दुनिया
बोल री दुनिया बोल
धूल में मन का कोई न पूछे मोल दुनिया
प्रीत ये कैसी बोल ...

देखूँ मैं एक सुंदर सपना
ढूँढूँ तारों में घर अपना
अँधी क़िस्मत तोड़ रही है ये सपने अनमोल दुनिया
प्रीत ये कैसी बोल ...

डूब गया दिन शाम हो गई
जैसे उमर तमाम हो गई
मेरी मौत खड़ी है देखो अपना घूँघट खोल रे
प्रीत ये कैसी बोल ...

मेरे सुख से बोल ऐ दाता
क्या जाता तेरी दुनिया का
प्यार का अमृत देके तूने ज़हर दिया क्यों घोल दुनिया
प्रीत ये कैसी बोल

प्रीत ये कैसी बोल री दुनिया
प्रीत ये कैसी बोल दुनिया
बोल री दुनिया बोल