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प्रीत रो पानो : 1 / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
थारो प्रीत रो पानो
म्हैं सावळ संभाळ राख्यो है
ओरै री संदूक में।
नितूगै जोवूं
प्रीत री आ अणमोल सैनाणी
चाव सूं बांचूं
हेत रा हरफ
चाणचाण हरयो हुय जावै
सूखो ठूंठ बगत
हियै तांई पूगण ढूकै
मधरी-मधरी सौरम।
प्रीत रो पानड़ो
समंदर बण जावै
ओळूं रै आंगणै।