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प्रेमियों से अभिलाषा / प्रिया जौहरी

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हे !! प्रेमी और प्रेमिकाओं
लिखो कविताएँ
अपने-अपने प्रेम की
बताओ कैसे तुम प्रेम में
आबाद या बर्बाद हुए सच कहूँ
मुझे तुम्हारी कविताओं में
प्रेम के सिर्फ़ सुंदर चेहरे का
बखान नहीं चाहिए
बल्कि उस बदसूरत चेहरे
का आइना भी चाहिए
जिसमें तुमको अपना ही अस्तिव
धुंधुला नज़र आया होगा
मुझे चाहिए तुम्हारी कविताओं में
प्रेम में ख़ुशी के उजालो के साथ-साथ
वो अँधेरा और उदासी के साए
जहाँ तुम अकेले बैठ कर रोए हो
जहाँ किसी एक के न होने पर
तुम ख़ुद को खोये हो
बस लिखो वही जो महसूस किया हो
अपने अपने प्रेम में ज़िया हो
मत करो अपनी कविताओं में
केशों, होंठो की बढ़ाई
तुम मत लिखो तन की सुंदरता
यौवन की चंचलता
बता सको तो बयान करो
अपने-अपने मन
की अस्थिरता
प्रेम में हर पल साथ चलने वाले
अपने दर्द और डर को
प्रेम कविताओं की पंक्तियों में ज़िक्र करो कि
कैसे प्रेम अपना आयाम बदलता है
कैसे प्रेम जीवन से चला जाता है
वही प्रेम जो जीवन था
कैसे प्रेम की नदी में
सिर्फ प्यार ही उफान नहीं मरता
बल्कि नफ़रत के बड़े बड़े चक्रवात भी आते हैं ।