भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम–तत्व-१ / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कच्ची मिटटी था
गढ़ा पकाया
समर्पण और विश्वास की आंच पर
रिश्ता
पका हुआ
सौंप दिया तुम्हें अब कहते हो तुम कि
पकी फसल की तरह होता है
पका रिश्ता