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प्रेम-कविताएँ / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
मन की
गुनगुनी आँच पर
पकते हैं
कच्चे हरे शब्द
बनती हैं तब
प्रेम की
सब्ज़-नील कविताएँ।