प्रेम-पिआसे नैन / भाग 9 / चेतन दुबे 'अनिल'
प्राण ! तुम्हारी याद में, मन यह रहे उदास।
सिर्फ तुम्हारी याद के, रहा न कुछ भी पास।।
तुम्हीं हमारी ज़िन्दगी, तुम ही मेरा प्यार।
तुम्हीं हमारी आस्था, तुम जीवन-आधार।।
सुमुखि ! तुम्हारी याद में, मन-हिरना बेचैन।
पलकों में सागर घिरा, पल भर मिले न चैन।।
जब से तुम आई प्रिये ! मेरे मन के पास।
कुंदन-कुंदन ज़िन्दगी, चंदन-चंदन साँस।।
रूपसि तेरे रूप का, है अनन्त विस्तार।
कभी चाँद-सी तू लगे, कभी हृदय का हार।।
प्राण ! तुम्हारी याद में, मन है बहुत उदास।
तन ही मेरे पास है, मन है तेरे पास।।
जब से तुम से हो गई, मन से मन की बात।
चाँदी जैसे दिन हुए, सोने जैसी रात।।
सजनी! तेरे आँगना, बरसे रंग-गुलाल।
सदा सुखी ईश्वर रखे, खुश राखे हर हाल।।
कितनी प्राण ! हसीन हो, लगती रूप निधान।
रूपसि ! तेरे नयन हैं, धनुष चढ़ा ज्यों बान।।
कब तक भोगूँ इस तरह, जीवन के संताप।
पुण्य मिट गए हैं सभी, उदय हो गए पाप।।