प्रेम-व्रेम फालतू चीज है / राहुल राजेश
सबने कहा, प्रेम-व्रेम फालतू चीज है
इस चक्कर में मत पड़ो
लाख नसीहतों के बावजूद फिसल ही गया
फिसलता ही गया
दिल का चैन खोया, रातों की नींद गंवाई
परीक्षा में अव्वल आने के मौके गंवाए
सबने कहा, गया काम से
अब किसी काम का नहीं रहा बंदा
मुझे भी लगा, गालिब की तर्ज पर
इश्क ने मुझे निकम्मा किया
वरना मैं भी आदमी था काम का
पर आप ही बताइए, क्या बुरा किया
प्रेम-व्रेम में पड़ा तो
प्रेम-कहानियाँ पढ़ी
प्रेम-कविताएँ लिखी
रेत में उसके नाम लिखे
लहरों को ललकारा
चाँद-तारों से बातें की
फूल-पत्तियों को प्यार किया
कागज पर तसवीरें उतारी
कुछ बनने के सपने संजोए
उसकी खातिर देर रात तक जागकर नोट्स बनाए
वादा निभाने के लिए परीक्षा में अव्वल नंबर लाए
करीने से बाल-दाढ़ी संवारे
पैरों के नाखून तराशे
प्रेम-व्रेम में पड़ा तो
किसी गलत संगत में नहीं पड़ा
ख़तो-किताबत के लिए कलम-दवात पकड़ा
तमंचा नहीं पकड़ा
हर वक्त उसी के ख़यालों में डूबा रहा
जुआ-शराब में नहीं डूबा
प्रेम-व्रेम में पड़ा तो
आँखों की चमक नहीं खोयी
आँसुओं का स्वाद नहीं भूला
प्रेम-व्रेम में पड़ा तो
आशिक-वाशिक ही बना, चोर-उचक्का, उठाईगिर नहीं बना
प्रेम-व्रेम में पड़ा तो ज़नाब
एक अदद इंसान बना !
प्रेम-व्रेम में नहीं पड़ता
तो आप ही बताइए, क्या गारंटी थी
आज जो हूँ, वही बनता ?