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प्रेम-1 / दुष्यन्त

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मैने नहीं की पूजा
उस परमपिता की
न ही किया सुमिरन

किंतु जब तुमने
अपने भगवान से
मांग लिया मुझे

मैं आठों पहर का पुजारी हो गया।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा