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प्रेम-3 / दुष्यन्त

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देखा गेट वे ऑफ़ इन्डिया से
एलिफ़ेंटा की गुफ़ाओं की ओर जाते हुए

स्टीम बोट में हिचकोले खाते
डर की रेखाओं के बीच
स्थिर था

अचल
हमारा प्रेम।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा