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प्रेम अछि त सृष्टि अछि श्रृंगार अछि / एस. मनोज
Kavita Kosh से
प्रेम अछि त सृष्टि अछि शृंगार अछि
प्रेम अछि त जीव ल सहकार अछि
प्रेम अछि त जीव ल मधुमास अछि
प्रेम अछि त हास अछि परिहास अछि
प्रेम सँ जीवन बनत आराधना सन
प्रेम सँ जीवन बनत एक साधना सन
जतय जतय प्रेम अछि सृष्टि ततय अछि
बिना प्रेमक सत कहू जीवन कतय अछि
चलू सभ मिलि प्रेमकें सरिता बहाबी
घृणा-द्वेष जे अछि एतय ओ सभ मेटाबी