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प्रेम करती औरत / पूजा खिल्लन
Kavita Kosh से
औरतें जब करती है प्रेम
तो दीवारें टूट जाती है नफ़रतों की
सपने बेतहाशा दौड़े चले जाते हैं
ख़्वाहिशों की नींद में,
औरतें छिपकर नही करतीं प्रेम
इसलिए एक खुली किताब-सा
पढ़ा जा सकता है उनका प्रेम
उम्र के लाजि़मी चश्मे के बगैर भी,
यूँ ही अकसर,
जैसे समय के हर ज़रूरी रंग में
ढाली जा सकती है उसकी इबारत
और लिखा जा सकता है एक नया
व्याकरण प्रेम का।